गलालिया जलप्रपात छिंदवाड़ा जिले का सर्वाधिक ऊंचाई वाला जलप्रपात है।
सीतारेवा नदी पर बना गलालिया जलप्रपात विकासखंड हर्रई के ग्राम बालूसार के समीप स्थित है। पूर्व में इस जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 150 फीट थी। परंतु प्रतिवर्ष वर्षा काल में सीता रेवा नदी की प्रचंड जलधारा के वेग से जलप्रपात के ऊपर स्थित 8-8, 10-10 टन के विशाल शिलाखंडों को तोड़कर, नीचे विशाल कुंड में गिरा देने के फल स्वरुप, अब गलालिया जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 120 फीट रह गई है।
छिंदवाड़ा से बालूसार तक, पूरे सड़क मार्ग तक, कभी घाटियाँ, कहीं दोनों ओर खेत छोटे छोटे आदिवासी गांव तथा अधिकांशतः दोनों ओर सघन वन प्रदेश के दर्शन मन को आनंद से भर देता है।
शासन स्तर पर वन विभाग एवं पर्यटन विभाग द्वारा सीतारेवा नदी के गलालिया जलप्रपात को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने की अपेक्षा है।
गलालिया जलप्रपात भविष्य का सर्वाधिक प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय पर्यटन स्थल होगा।
स्थानीय ग्रामीणों में यह गलालिया जलप्रपात के नाम से प्रचलित है। माह जुलाई से जनवरी तक सीतारेवा नदी के इस गलालिया जलप्रपात का प्रवाह दर्शनीय है। परंतु माह फरवरी से माह अप्रैल-मई तक जल प्रवाह अत्यंत धीमा हो जाता है। क्योंकि नदी के पूर्व में स्थित कृषकों द्वारा मोटर पंप से खेतों की सिंचाई के लिए पानी खींचने के कारण यह स्थिति बनती है। नदी से निरंतर रेत का उत्खनन भी जल प्रवाह को प्रभावित करता है।
सीतारेवा नदी का गलालिया जलप्रपात, जिला मुख्यालय छिंदवाड़ा से व्हाया हर्रई, बटकाखापा, चिलक होते हुए बालूसार तक 150 किलोमीटर एवं छिंदवाड़ा से व्हाया अमरवाड़ा, जुंगावानी, भुमका,धनोरा, बटकाखापा, चिलक होते हुए बालूसार तक 135 किलोमीटर दूर स्थित है।
सीतारेवा नदी का गलालिया जलप्रपात, जिला मुख्यालय छिंदवाड़ा से व्हाया हर्रई, बटकाखापा, चिलक होते हुए बालूसार तक 150 किलोमीटर एवं छिंदवाड़ा से व्हाया अमरवाड़ा, जुंगावानी, भुमका,धनोरा, बटकाखापा, चिलक होते हुए बालूसार तक 135 किलोमीटर दूर स्थित है।
नरसिंहपुर से हर्रई, बटकाखापा, चिलक, बालूसार तक 104 किलोमीटर दूर है। तामिया से छिंदी, बटकाखापा, चिलक, बालूसार तक 90 किलोमीटर की दूरी है। विकासखंड मुख्यालय हर्रई से बटकाखापा, चिलक होते हुए बालूसार जलप्रपात 60 किलोमीटर दूर स्थित है। चिलक तक पक्की सड़क है एवं यहां फॉरेस्ट का रेस्ट हाउस भी है। परंतु चिलक से 9.50 किलोमीटर बालूसार तक संरक्षित वन क्षेत्र का सुनसान कच्चा सड़क मार्ग है। किसी समय जंगल के भीतरी हिस्सों से लकड़ी कटाई की जाकर ट्रक से लादकर बाहर लाए जाने वाला कच्चा रास्ता है। दोपहिया चौपहिया वाहन जा सकते हैं।
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ग्राम बालूसार से 2.5 कि.मी. अंदर दुर्गम घने जंगल में पहाड़ी पगडंडी रास्ते द्वारा गलालिया जलप्रपात तक पहुंचा जा सकता है।
जिले का सर्वाधिक ऊंचाई का जलप्रपात होने के साथ-साथ, गलालिया जलप्रपात का अप्रतिम सुंदर दृश्य, जिले के सर्वाधिक मनमोहक प्राकृतिक दृश्यों का सरताज भी है।
जिले का सर्वाधिक ऊंचाई का जलप्रपात होने के साथ-साथ, गलालिया जलप्रपात का अप्रतिम सुंदर दृश्य, जिले के सर्वाधिक मनमोहक प्राकृतिक दृश्यों का सरताज भी है।
गलालिया जलप्रपात का प्राकृतिक सौंदर्य मन को लुभाता तो है ही, साथ ही मन को प्रफुल्लित भी कर देता है। यहां इतनी असीम शांति महसूस होती है कि मन करता है कि यहां रुक जाएं।
छिंदवाड़ा से बालूसार तक, पूरे सड़क मार्ग तक, कभी घाटियाँ, कहीं दोनों ओर खेत छोटे छोटे आदिवासी गांव तथा अधिकांशतः दोनों ओर सघन वन प्रदेश के दर्शन मन को आनंद से भर देता है।
शासन स्तर पर वन विभाग एवं पर्यटन विभाग द्वारा सीतारेवा नदी के गलालिया जलप्रपात को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने की अपेक्षा है।
गलालिया जलप्रपात भविष्य का सर्वाधिक प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय पर्यटन स्थल होगा।
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