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छोटा महादेव मेला (महाशिवरात्रि मेला), जमुनिया, छिंदवाड़ा (Chhota Mahadev , Mela , MahaShivRatri Mela, Jamuniya, Chhindwara)

छोटा महादेव मन्दिर, जमुनिया, छिंदवाड़ा (Chhota Mahadev Temple, Jamuniya, Chhindwara) शहर के नजदीक एक प्रसिद्ध मंदिर है। 

जिला मुख्यालय छिंदवाड़ा से करीब 18 किलोमीटर दूर छिंदवाड़ा- नरसिंहपुर राज्य मार्ग से जाने पर ग्राम नेर जमुनिया आता है। वहीं जमुनिया से 3 किलोमीटर की दूरी पर पेंच नदी बहती है।

यहां पेंच नदी के तट में छोटा महादेव का बहुत प्राचीन मंदिर स्थित है। छिंदवाड़ा जिले का यह मंदिर, महाशिवरात्रि मेले के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां महाशिवरात्रि का मेला बहुत पुराना एवं प्रसिद्ध है।

श्री आर.वहीं.रसेल ICS ने छिंदवाड़ा के जिला गजेटियर 1907 ईस्वी में उल्लेख किया है कि महाशिवरात्रि से आयोजित इस 15 दिवसीय मेले में प्रतिदिन 5000 श्रद्धालु आते हैं। 

महाशिवरात्रि मेले में लगभग 300 अस्थाई दुकानें विभिन्न प्रकार की लगती है। यहां बैल जोड़ियों की दौड़ भी आयोजित की जाती है और उन्हें इनाम भी वितरित किया जाता है। यह इस क्षेत्र का बडा़ मेला माना जाता था।

छोटा महादेव मन्दिर, जमुनिया के महाशिवरात्रि मेले में छिंदवाड़ा, सारना, सिंगोड़ी आदि आसपास ग्राम के श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। परंतु अब मेले की भव्यता धीरे-धीरे कम हो रही है। वर्तमान में यहां 5 दिनों का मेला भरता है। मेले की पुरानी रौनक  अब देखने नहीं मिलती जो विचार करने की चेष्टा करता है कि आखिर रोनक कैसे वापस लाई जायेेगी।


छोटा महादेव मन्दिर, चुंकि पेंच नदी के तट पर स्थित है और नजदीक माचागोरा बांध का निर्माण सरकार द्वारा किया गया है। जिससे माचागोरा बांध का पानी मंदिर के किनारे तक आ जाता है।

लेकिन इसके बावजूद यहां लगने वाला यह परंपरागत मेला महाशिवरात्रि पर्व पर आज भी लगता है। श्रृद्धालु व आसपास के ग्रामीण पांच दिवसीय मेले तथा नौकायन आनंद लेते हैं।

वही माचागोरा बांध का पानी भी छोटा महादेव से लगे होने से श्रृद्धालु नौकायान का लुफ्त उठा कर भक्ति और पर्यटन दोनों का आनंद लेते हैं। यहां नौकायान ने छोटा महादेव मन्दिर के महाशिवरात्रि मेले के आकर्षण में सोने में सुहागा का कार्य किया है।

वर्तमान में श्रद्धालु मेले में यहां आकर मंदिर में भगवान शिव की पूजा कर, मेले का तथा नौकायन का आनंद लेते हैं। श्रद्धालु इस सुखमय जीवन के अनुभवों का यहां आकर श्रद्धा, भक्ति और पर्यटन से अभिभूत हो जाते हैं।


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