एक नदी जो बहती है सर्प की तरह, सर्प के आकार में - सर्पिणी नदी।
ऐसा माना जाता है कि सतपुड़ा पर्वत की श्रृंखला से अवतरित सर्पिणी नदी उद्गम से संगम स्थल तक सर्पाकार में बहती है। यह नदी का बहाव प्राकृतिक व अद्भुत है।
सर्प की चाल की भांति बहने के कारण इसका नाम सर्पिणी नदी पड़ा है। आमजन भाषा में इसे सर्पा नदी के नाम से भी जाना जाता है।
छिंदवाड़ा जिले के विकासखंड पांढुर्ना के ग्राम मलोलखापा एवं मरकावाडा के मध्य जंगल से सर्पा (सर्पिणी) नदी का उद्गम हुआ है।
सर्पा (सर्पिणी) नदी के किनारे ग्राम मोहगांव बसा है। यहां मोहगांव हवेली में सुप्रसिद्ध अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग शिव मंदिर स्थित है।
यह मंदिर श्रद्धा का केंद्र है। अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग के प्रति एकाग्रता और ध्यान का भाव मन को शांत करने वाला है।
सर्पा (सर्पिणी) नदी के दूसरे किनारे पर विट्ठल-रूक्मिणी भगवान का छिंदवाड़ा जिले का एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है। विट्ठल-रुक्मणी का यह मंदिर लगभग 450 वर्ष पुराना है।
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यहां विट्ठल-रुक्मणी मंदिर के प्रांगण में कार्तिक माह में 7 दिनों का एक मेला भी लगता है। अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में महाशिवरात्रि को विशाल मेला प्रतिवर्ष भरता है।
दूरस्थ क्षेत्र से भी श्रद्धालु यहां आकर बड़े ही विधि विधान के साथ भगवान शिव का अभिषेक पूजन करते हैं।
ऐसा भी माना जाता है कि सर्पिणी नदी में पहले जो भीतर पत्थर पाए जाते थे या हो सकता है अभी भी भीतर हैं। उनमें सर्प की आकृति दिखाई देती थी।
अर्धनारीश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से कुछ दूरी पर अमरकुंड नामक झरना है। सर्पिणी नदी के तट पर स्थित इस मंदिर के दक्षिण-पूर्व दिशा में एक कुण्ड भी है। जिसकी आकृति शिवलिंग जैसी प्रतीत होती है।
यह शिवलिंग सर्पिणी नदी के तट पर प्राकृतिक रूप से बना दिखाई पड़ता है।
सर्पिणी नदी में वर्ष भर जल बहता है। सर्पिणी नदी विकासखंड सौंसर के जाम ग्राम के पास बहती जाम नदी में संगम करती है।
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