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सिद्ध बाबा वाटरफॉल/जलप्रपात, भुमका घाटी, छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश (Siddha Baba Waterfall, Bhumka Ghati, Chhindwara, Madhya Pradesh)

अद्भुत दृश्यों से अभिभूत अल्पज्ञात  जलप्रपातों में से एक सिद्ध बाबा वाटरफॉल/जलप्रपात, भुमका घाटी, छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश (Siddha Baba Waterfall, Bhumka Ghati, Chhindwara, Madhya Pradesh) है।

 
छिंदवाड़ा से अमरवाड़ा होते हुए, नरसिंहपुर सड़क मार्ग पर, अमरवाड़ा तहसील से 10 किलोमीटर दूर तथा छिंदवाड़ा जिले से 50 किलोमीटर दूर, जुंगावानी ग्राम स्थित है। जुंगावानी ग्राम से बांंई ओर (पश्चिम दिशा की ओर) भुमका - धनोरा सड़क मार्ग है। 

अब जुंगावानी ग्राम से भुमका ग्राम 11 किलोमीटर है तथा जिला मुख्यालय छिंदवाड़ा से भुमका ग्राम की दूरी 61 किलोमीटर है। जुंगावानी ग्राम से भुमका ग्राम तक की सड़क भुमका घाटी के नाम से जानी जाती है।  

भुमका घाटी मार्ग से नीचे उतरने पर भुमका ग्राम आता है। भुमका ग्राम से पहले भुमका घाटी में एक मंदिर स्थित है, जिसे सिद्ध बाबा मंदिर के नाम से जाना जाता है।  


आसपास क्षेत्र के ग्रामों में सिद्ध बाबा की बहुत मान्यता है। मंदिर के प्रांगण में एक टांका (छोटा सा कुंड) बना हुआ है। जिसमें भूगर्भीय जल स्त्रोत का जल हमेशा भरा रहता है। 

यहां सिद्ध बाबा मंदिर के चारो ओर घना जंगल है। वैसे तो पूरी भुमका घाटी ही सघन वन क्षेत्र है। यह प्राकृतिक सुंदरता देखते ही मन को मोह लेती है। 

 
इस मंदिर से लगभग 400 मीटर सामने की ओर सागौन के घने जंगलों के बीच यह जलप्रपात स्थित है। जिसे सिद्ध बाबा जलप्रपात के नाम से जाना जाता है।  

सिद्ध बाबा जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 25 फीट है। भुमका ग्राम से लगभग 2 किलोमीटर, धनोरा ग्राम से लगभग 8 किलोमीटर तथा जुंगावानी ग्राम से लगभग 7  किलोमीटर की दूरी पर यह सिद्ध बाबा जलप्रपात स्थित है।  

यह जलप्रपात वर्षा ऋतु में दर्शनीय रहता है। इसमें जल प्रवाह माह जुलाई से अक्टूबर तक बरसात में निरंतर बना रहता है। सिद्ध बाबा मंदिर से सिद्ध बाबा जलप्रपात तक जाने का रास्ता पैदल और उबड़-खाबड़ है। 

पर्यटकों द्वारा सिद्ध बाबा जलप्रपात तक जंगल ट्रैकिंग का आनंद लेते हुए पहुंचा जा सकता है। पर्यटक सिद्ध बाबा जलप्रपात का प्राकृतिक आनंद उठाने के बाद, भुमका गांव से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, इस क्षेत्र के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल आंचल कुंड के दर्शन का लाभ भी ले सकते हैं। 

आंचल कुंड में खंडवा वाले दादा जी धूनी की अलख आज भी निरंतर प्रज्वलित है। तथा यहां  तीसरी पीढ़ी के दादा सुखराम दास जी लगातार अपना दायित्व निभा रहे हैं। आंंचलकुंड का पांंच मंंजिला मंदिर तथा दादा जी धूनी दरबार दर्शनीय और सिद्ध स्थल हैं।

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