नर्मदा जी की सहायक नदियों में से एक है तामिया के पातालकोट की दूधी नदी।
दूधी नदी एक समय बारहमासी नदी के रूप में पहचानी जाती थी। जिसमें हमेशा पानी का प्रवाह देखा जाता था और आस-पास हमेशा हरियाली से आच्छादित रहती थी।
दूधी नदी किसानों के लिए उपयोगी होने के साथ-साथ जीवन दायिनी भी रही है। जिसके किनारे कई गांवों की बसाहट रही है किन्तु यह जीवनदायनी नदी अब बरसाती नदी में परिवर्तित हो गई है।
गर्मी का मौसम आते-आते दूधी नदी का पानी सूख जाता है और सीमित रेतीला मैदान बन जाता है। जहां रेत के अवैध खनन का खेल शुरू होकर बारहमासी नदी को बरसाती नदी में परिवर्तित करने का प्रयास जारी रहता है।
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दूधी नदी उत्तर-पश्चिम कोण से छिंदवाड़ा जिले में लगभग 35 किलोमीटर बहती है फिर, नरसिंहपुर जिले से बहती हुई आगे बहती जाती है।
अंत में दूधी नदी, होशंगाबाद व नरसिंहपुर की सीमा भी बनाती है, फिर खैरघाट व पंसीघाट के पास नर्मदा नदी में जा मिलती है।
दूधी नदी के उद्गम के पास बड़ी-बड़ी अति सुन्दर पत्थर की प्राकृतिक दीवार जैसी विशाल चट्टाने हैं।
पास निकट ही पातालकोट की राजाखोह गुफा है। जो देखने योग्य है। इस गुुुफा के बारे में जानकारी प्राप्त करने पर....
यह जनश्रुति है कि नागपुर के राजा आपाजी भोंसले, अंग्रेजों से युद्ध करते समय अपनी और साथियों की सुरक्षा करने यहां की गुफ़ा में कई दिनों तक आश्रित रहे हैं। इसलिए इस गुफा को राजाखोह गुफा के नाम से जाना जाता है।
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1 टिप्पणियाँ
अदभुत जानकारी... नदियों का संरक्षण अति आवश्यक है।
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